जो मिला वो अपना था
जो ना मिला वो सपना था
अपनी नजरों में कभी झुकना नहीं
मुझे बस रुकना नहीं
उम्मीदों कि किरण लेकर
दूर बहुत चलना है
सूरज के साथ निकलकर
सांझ के साथ ढलना है
कुछ मिलेंगे कुछ खोयेंगे
मुझे बस बढ़ते जाना है
आँखों से आंशू पोंछ कर
आगे निकल जाना है
वो मिलेगा जो अपना होगा
जो न मिला वो सपना होगा
आसानी से कुछ नहीं मिलता संजीत
सोना बनने के लिए तपना होगा
उम्मीदें कभी तोड़ने को आयेंगी
खुशियाँ मुंह मोड़ने को आयेंगी
उड़ना सोच कर कि परिंदा हूँ मैं
कहना खुद से कि अभी जिंदा हूँ मैं
nice one
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